मानसूनी हाइकु-डॉ. कंचन पुरी
>> Sunday, October 4, 2009
१.
आंधी की तेजी
बादलों की गर्जना
मानसून आ।
२.
मेघ गरजे
अम्मा बोल उठी
आ देख वर्षा।
३.
झम-झमाझम
बारिश होने लगी
ये हरियाली।
४.
तूफान देख
मांझी लगा किनारे
चिंता घर की।
५.
जून की तपस
खारी बूंदें लुढ़कीं
सूखता गला।
६.
वर्षा रुके ना
लबालब सड़कें
प्रजा हैरान।
७.
दरकते पेड़
बता रहे कहानी
आया तूफान।
८.
बारिश बंद
उग पड़ा सूरज
इन्द्रधनुष।
९.
यज्ञ-प्रार्थना
बादल उमड़ते
मात्र प्रतीक्षा।
१०.
ये तितालिस
पार की गर्म रात
बिना बिजली।
११.
शांति की चाह
हुआ फिर मौन भंग
जीवन-आह।
१२.
बंटी की जिद्
मन आलस आया
हुई ऑउटिंग।
१३.
सोच सकुं कुछ
सोचा न जाए फिर
रीता मन।
१४.
प्रेम उमड़ा
उनको देखकर
निहारें मुझे।
१५.
हर आहट
जानी पहचानी है
प्रतीक्षारत्।
१६
कैसा दीवानापन
संयम कहां रहा
सब अर्पण।
१७.
चाहा बहुत
मन खाली कर दूँ
मौका न मिला।
१८.
वाद-विवाद
जब विषम मन
टूटें रिश्ते।
१९.
वाद-विवाद
विषम हुए मन
बढ़ें दूरियां।
२०.
सत्य का भाव
सहयोग हो
बनें रिश्ते।
२१.
सुमिरन हो
इष्टदेवता का
पूरी मुराद।
२२.
कोशिश कभी
असफल नहीं हो
प्रगति संग।
२३.
चांदनी रात
बरसे शीतलता
चहका साथी।
२४.
मन-मयूरी
नाच उठा संसार
ठुमके बच्चे।
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