tag:blogger.com,1999:blog-9200314224724595608.post6510719899869854014..comments2023-06-20T18:59:13.331+05:30Comments on JEEVAN-NAMA जीवन-नामा: प्रेमचन्द के उपन्यासों में सामाजिक चेतना-डॉ.कंचन पुरीडॉ. कंचन पुरीhttp://www.blogger.com/profile/16055508696281944303noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-9200314224724595608.post-7629727866462747952010-05-11T19:17:18.113+05:302010-05-11T19:17:18.113+05:30" बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांत..." बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "<br /><br />हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register, <br /><br />साथ हीं जनोक्ति द्वारा संचालित एग्रीगेटर " ब्लॉग समाचार " http://janokti.feedcluster.com/ से भी अपने ब्लॉग को अवश्य जोड़ें .Jayram Viplavhttps://www.blogger.com/profile/16251643959205358549noreply@blogger.com